नई पुस्तकें >> आदमी तो सब जगह हैं आदमी तो सब जगह हैंबिमला रावर सक्सेना
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‘आदमी तो सब जगह हैं’ के सूत्र में पिरोई गयी बिमला रावर सक्सेना की कवितायें उनकी ऐसी आप बीती का झरोखा है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘आदमी तो सब जगह हैं’ के सूत्र में पिरोई गयी बिमला रावर सक्सेना की कवितायें उनकी ऐसी आप बीती का झरोखा है जिसमें भांति–भांति के रंग हैं, तरह–तरह के भाव हैं और भावनाओं का ज्वार अलग-अलग ऋतुओं की छाप की छत्रछाया में सहज प्रवाह में उदीयमान है। कविता मूल रूप में अपने व्याकरण से तब ही सरोकार रख पाती है जब वह अपने आचरण में प्रवाह का नाद लिये होती है।